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रविवार, 20 नवंबर 2016

नागकेसर से दूर करे कालसर्प योग और करे लक्ष्मी प्राप्ति तथा वशीकरण करे - NAGKESAR SE DUR KARE KALSARP YOG AUR DHAN PRAPTI TATHA VASHIKARAN KARE

! नागकेशर !



नागचम्पा की कलि को नागकेसर कहते है ! नागकेसर कडवी, कसेली, आमपाचक, किंचित गरम, रुखी, हलकी ,गरम, रुधिर रोग, वात, ह्रदय की पीड़ा, पसीना, दुर्गन्ध, विष, तृषा, कोढ़, कान्त रोग और मस्तक शूल का नाश करती है| भगवान शिव जी की पूजा में नागकेसर का उपयोग किया जाता है, तांत्रिक प्रयोगों और लक्ष्मी दायक प्रयोगों में भी नागकेसर का उपयोग किया जाता है !!

इसे नागेश्वर भी कहते हैं। देखने में यह कलि मिर्च के समान गोल और गेरू के समान रंगीन होती है। इसका फूल गुच्छेदार होता है। नागकेसर महादेव को बहुत प्रिय है। अभिमंत्रित नागकेसर वशीकरण के लिए बहुत उपयोगी होता है !

१. नागकेसर, चमेली का फल, तगर, कुमकुम, कूट को एक साथ मिलाकर्र रवि, पुष्य योग या गुरु पुष्य योग के समय खरल में कूल लें, फिर कपद्छान कर गाय का दूध मिलाकर माथे पर तिलक लगाने से अति तीव्र वशीकरण होता है !

२. धन-संपदा प्राप्ति के लिए पूर्णिमा के दिन शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग को दूध, दही, शहद, मीठा, घी, गंगाजल से अभिषेक कर पञ्च विल्वपत्र के साथ नागकेसर के फूल शिवलिंग पर अर्पित करें। यह क्रिया अगली पूर्णिमा तक अविरोध करते रहे। अंतिम दिन अर्पित किये विल्वपत्र और पुष्प घर लाकर तिजोरी में रख दें। अप्रत्याशित रूप से धन की वृद्धि होगी !

३. चांदी के ढक्कन वाली छोटी डिब्बी में नागकेसर बंद कर अपने पास रखने से काल सर्प दोष का प्रभाव समाप्त हो जाता है !

४. कुंडली में चंद्रमा कमजोर होने पर नागकेसर से शिवजी की पूजा करनी चाहिए !


नागकेसर और वशीकरण रविपुष्प योग अथवा गुरूपुष्य योग या फिर अन्य किसी शुभ मुहूर्त में निम्नलिखित घटक (वस्तुएं) एकत्र करके खरल में कूट लें। फिर उसे कपडछन (कपडे में छानकर) करके घी में मिलाकर चन्दन जैसा लेप बनाएं यह लेप माथे पर लगाने से चेहरे पर कुछ ऐसी दिव्य आभा उत्पन्न हो जाती है, जो देखने वालो पर वशीकरण का प्रभाव डालती है। प्रयोज्य वस्तुएं इस प्रकार नागकेसर, चमेली के, कूट, तगर, कुमकुम और घी। स्मरण रहे कि प्रातः स्नान-पूजा से निवृत होकर शुद्ध स्थिति में ही यह प्रयोग प्रारम्भ करना चाहिए, फिर दैनिक-पूजा के समय यह तिलक लगाते रहें। चूँकि तिलक बनाने से बहुत थोडी सामग्री लगती है, अतः केवल आवश्यकता अनुसार प्रयोग करना चाहिए। यह भी हो सकता है कि पहले दिन चूर्ण तैयार करके, कपडछान करके, घी में तर कर लें और उसे किसी प्याली या डिब्बे में रख दें ताकि उस पर कसाव आदि का प्रभाव न पडे। काँच, स्टील, प्लास्टिक या चीनी-मिटटी के पात्र में प्रयुक्त करने से तिलक का लेप कई दिनो तक सुरिक्षत बना रहता है। लगातार कुछ दिनो तक नियमित रूप से इस तिलक को लगाते रहने से साधक में वशीकरण की शक्ति उत्पन्न हो जाती है। नागकेसर स्वस्तिक तंत्र भोजपत्र का चाकौर टुकडा लेकर उस पर लाल चन्दन से स्वस्तिक बनाकर सूखने पर उस पर गोंद की मदद से नागकेसर सजा दें। फिर काष्ठ की चौकी पर नया लाल वस्त्र बिछाकर वह स्वस्तिक उस पर रखें तथा धूप-दीप से पूजा कर गणपति मंत्र ऊँ गं गणपतये नमः का जाप करें। जाप करते समय कुछ देर तक स्वस्तिक को एकटक देखें। फिर नेत्र मूदंकर आतंरिक ध्यान करें। इस तरह अभ्यास करने से लक्ष्मी आराधक पर कृपा करती है। स्वंय गणेश भी वैभव प्रदाता है। अतः इस साधना से अराधक की दरिद्रता दूर होती है। इसी को त्राटक साधन भी कही जाता है। दीपावली पर नागकेशर पर विशेष प्रयोग दीपावली की रात्रि तांत्रिक प्रयोगो अनुष्ठानो के लिए सर्वविदित है। व्यक्ति की समयभाव वाली कठिनाई को देखकर छोटे-2 प्रयोगों को ही बल दिया गया है मेरे प्रयोग पदार्थ तंत्र पर आधारित है। प्रत्येक पदार्थ में कुछ न कुछ गुणधर्म निहीत है। ऐसे ही लक्ष्मी को रिझाने वाले गुणधर्म से परिपूर्ण इस प्रयोग को अपना कर देखें। इसमें ऊपर तक नागकेशर तथा शहद भरकर बंद करके दीपावली की रात्रि को अपने गल्ले या तिजोरी में रख दें। इसका फिर कुछ भी न करें, अगली दीपावली तक ऐसे ही रहने दें। चमत्कार स्वंय महसूस करें !

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